विश्वनाथ त्रिपाठी हिंदी साहित्य के समकालीन प्रसिद्ध लेखक हैं। उन्होंने कई कहानियों, उपन्यासों, निबंधों और कविताओं का लेखन किया है। वे साहित्य के क्षेत्र में सक्रिय रूप से काम करते रहे हैं और अपने लेखन को समाज के समस्याओं को समझाने और समाधान करने के लिए उपयोग करते हैं। वे हिंदी साहित्य के समकालीन प्रमुख शिल्पकार हैं जो अपने समय में समाज के समस्याओं को समझाते हुए साहित्य के माध्यम से उनका संबोधन करते हैं।
विश्वनाथ त्रिपाठी के बारे में-
विश्वनाथ त्रिपाठी का जन्म 16 फ़रवरी 1931 (आयु 91 वर्ष) में बस्ती ज़िला (वर्तमान सिद्धार्थनगर), उत्तर प्रदेश में हुआ था।
- प्रगतिशील विचारधारा से सम्बद्ध कट्टरतारहित आलोचक के रूप में डॉ. विश्वनाथ त्रिपाठी ने मुख्यतः मध्यकालीन साहित्य से लेकर समकालीन साहित्य तक की आलोचना में गहरी अंतर्दृष्टि का परिचय दिया है।
- जीवनी एवं संस्मरण लेखन के क्षेत्र में भी उन्होंने महत्त्वपूर्ण मुकाम हासिल किया है।
- विश्वनाथ त्रिपाठी की भाषा एवं साहित्य दोनों के गम्भीर अनुसंधित्सु रहे हैं। उनकी पहली पुस्तक ‘हिन्दी आलोचना’ आज भी अपनी मौलिकता, प्रांजलता, ईमानदार अभिव्यक्ति तथा सटीक एवं व्यापक विश्लेषण के कारण अपने क्षेत्र में अद्वितीय है।
- त्रिपाठी जी ने बहुत नहीं लिखा है, परन्तु जो भी लिखा है, उसे पढ़ते हुए यह निःसंकोच कहा जा सकता है कि उनकी लिखी हर पंक्ति अत्यधिक महत्त्वपूर्ण और अवश्य ध्यातव्य है।
कृतियाँ-
आलोचना : कुछ कहानियाँ-कुछ विचार, हिंदी आलोचना, देश के इस दौर में।
कविता संग्रह : जैसा कह सका।
संस्मरण : व्योमकेश दरवेश।
आत्मकथा : नंगातलाई का गाँव।
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